कैसे करें चीन का बहिष्कार?

मान लीजिये आपका परिवार अपने आप में एक आर्थिक इकाई है और आप एक ऐसी कंपनी के मालिक हैं जो सोलर पैनल बनाती है, आपके पार्टनर किसी अन्य कंपनी में इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं । आपके बच्चे स्कूल जाते हैं और अपनी ज़रूरतों के लिए आप दोनों पर निर्भर हैं । खाना बनाने और सफाई करने के लिए आपने किसी को नौकरी पर रखा हुआ है । आपको अपने परिवार के साथ अपने किचन गार्डन में समय बिताना अच्छा लगता हैं । जैसे जैसे आपके गार्डन में फूल और सब्ज़ियां उगने लगती हैं, आपको एहसास होता है कि इन्ही फूल और सब्ज़ियों को जब आप बाहर से खरीदते हैं तो वह काफी महँगा पड़ता है, जबकि इन्हे घर में उगाना बहुत सस्ता है । धीरे-धीरे आपको लगता है कि फल-फूल, दूध, अनाज तथा अन्य सभी सामानों को घर पर स्वयं बनाना ज़्यादा सस्ता और सुरक्षित होगा । तो अब क्या आप सब कुछ अपने घर में बनाना शुरू कर देंगे? 

आप सब कुछ घर में बनाना क्यों शुरू नहीं कर सकते?

अगर पूरा परिवार भी मिलकर काम करे तो भी आपके पास अपनी ज़रूरत का सारा सामान बनाने का समय नहीं होगा । काम भी अनेक तरह के होंगे – गाय पालना, फल-फूल अनाज की खेती करना, कपड़े सिलना – और आप इन सभी कामों में निपुण नहीं हो सकते । आप और आपके पार्टनर अपने सोलर पैनल और इंजीनियरिंग के काम को ही अगर अच्छी तरह करें तो ज़्यादा लाभ की सम्भावना है ।

एक देश के पास भी अपने कुछ प्राकृतिक संसाधन होते हैं, जलवायु और ज़मीन होती है, टेक्नॉलजी और लोग होते हैं जो कि उस देश की उत्पादक छमता को बनाते हैं । एक देश के पास किसी एक सामान को बनाने के सभी संसाधन हो सकते हैं जबकि किसी अन्य सामान को बनाने के नहीं । 

आप शायद यह लेख एक स्मार्ट फ़ोन पर पढ़ रहे होंगे जो वियतनाम में बना है, जिसके अंदर लगा हुआ ट्रांजिस्टर ताइवान का है, और ऊपर का प्लास्टिक केस चीन का । इस प्लास्टिक को बनाने के लिए इस्तेमाल किया हुआ तेल शायद ओमान से आया हो और इसको बनाने में हो सकता है किसी भारतीय का योगदान हो । आप इस निर्भरता को ख़त्म करने कि कोशिश कर सकते हैं पर फिर उसकी अपनी एक कीमत होगी । एक मेड इन जापान टेलीविज़न के अंदर के सारे पुर्जे चीन में बने हुए हो सकते हैं और यह भी हो सकता है कि एक चीनी फ़ोन के अंदर का एक भी पुर्जा चीनी न हो । 

आइये अब कुछ आंकड़े जानते हैं:

1. 2019 में भारत ने $75 बिलियन का सामान चीन से आयात किया था जो कि चीन के कुल निर्यात का सिर्फ 3% है, लेकिन भारत के कुल आयात का 16% है ।

2.  वहीं दूसरी तरफ भारत ने $18 बिलियन का सामान चीन को निर्यात किया था जो कि भारत के कुल निर्यात का 5.3% है जबकि चीन के कुल आयात का सिर्फ 0.9% है । 

आप देख रहे हैं यह निर्भरता कितनी विषम है?

लोकप्रिय कल्पना में और तमाम सोशल मीडिया संदेशो से ऐसा लगता है कि हम चीन से सिर्फ सस्ते खिलौनों, प्लास्टिक के सामान, मोबाइल फ़ोन और पटाखों का आयात करते हैं जबकि असल में हम चीन पर विद्युत् मशीनरी, परमाणु संयंत्र के उपकरण और रासायनिक वस्तुओं जैसी तमाम चीज़ों के लिए भी निर्भर हैं । 

तो क्या इस निर्भरता पर बच्चों के खिलोने तोड़ देने से या अपना चीनी मोबाइल फ़ोन बदल लेने से कुछ असर पड़ेगा?

इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि हमें चीन पर निर्भरता कम नहीं करनी है । 

निर्भरता कम कैसे होगी?

1. भारत में निर्माण कार्य को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन राशि बढ़ानी होगी । भारत सरकार ने मेक इन इंडिया के तहत ₹50,000 करोड़ रूपए स्थानीय और वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक निर्माण कार्य के लिए और ₹10,000 करोड़ रूपए फार्मास्यूटिकल को बढ़ावा देने के लिए निर्धारित किये हैं । चीन पर निर्भरता कम करने के लिए यह एक बेहतर प्रयास है लेकिन हमारे टीवी न्यूज़ चैनल्स ने इस पर चर्चा के लिए बहुत ही कम समय दिया ।

2. कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि कुछ ज़रूरी सामान के आयात के लिए हम चीन की जगह वियतनाम, जापान, तथा अन्य यूरोपियन देशों के बारे में भी सोच सकते हैं ।

कई बार लोकप्रिय उपायों के बारे में चर्चा करना या उनको अपना लेना बहुत आसान होता है लेकिन हमें यह भी सोचने और समझने की ज़रूरत है कि जिन उपायों को अपना कर हम निश्चिंत हो चुके है, वे क्या असल में हमारी समस्या का समाधान करने में सक्षम हैं ।

यह लेख अंग्रेजी के निम्नलिखित लेखों कि मदद से लिखा गया है:

  1. India Policy Watch: Cheeni Kum?
  2. The “right way” to boycott China
  3. Dispelling The Many Myths of Our (Mythical) Readers

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